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नए भारत के पढ़े-लिखे जातिवाद

Source: U. S. Department of State, Image: Mysore Palace

कहते हैं, कि कभी-कभी ज्यादा जानने के लिए एक बार पीछे जाने में कोई बुराई नहीं है|
मेरे दादा जी कहते हैं कि जब वह हमारे उम्र के थे तो उन्होंने ऐसे दिन देखे है जिसमें कोई छोटी जाति वाला व्यक्ति है बड़े जाति वाले के घर के सामने से गुजरता है तो पीछे से झाड़ू मारता हुआ चलता है वह इंसान अपने पीछे झाडू बांधा हुआ रहता है क्योंकि जहां वह पांव रखे हैं वहां की सफाई हो सके| 
उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी बड़े जाति वाले लोग छोटे जाति वालों को सिर्फ सत्तू देकर ही जमीन लिखवा लिया करते थे|
खैर यह तो रही पुरानी बातें जो मेरे दादाज कहा करते थे लेकिन मेरे समय में कुछ कम नहीं है सबसे पहले आप जानिए कि मैं जब आठवीं कक्षा गांव की स्कूल में था तब मेरे गांव में हिंदू या मुस्लिम का कोई भेदभाव नहीं था मेरे दोस्त अली, मेरे घर दुर्गा पूजा छठ दीपावली में आता था और मैं रमजान में उसके घर जाता था उस समय कोई रोक-टोक नहीं था कहते हैं कि शिक्षा देश की भविष्य को लिखता है लेकिन यहां कॉलेज में जो कि एक सरकारी कॉलेज है उसमें जातिवाद देखने को मिलता है फिलहाल वर्तमान मैं देश का माहौल भी जातिवाद पर ही हैं कहीं कट्टरपंथी के नाम पर बदलाव दिया जा रहा है तो कहीं मंदिर मस्जिद तोड़ो जा रहे हैं| टाइम्स नऊ न्यूज और वर्ल्ड बैंक के डाटा के अनुसार, वर्तमान समय में लगभग 77.7% भारत शिक्षित है| फिर भी जातिवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है सोचने वाली बात यह है कि भारत से भी ज्यादा पढ़े लिखे और शक्तिशाली देश नए-नए आविष्कार और टेक्नोलॉजी से नए नए ग्रह पर जा रहे हैं| सुनकर बुरा लगे लेकिन शर्म की बात है कि भारत की हम उम्र नव युवा जाति और धर्म के उलझन में पड़े हुए हैं|
वो कहते हैं ना कि 1 किलो टमाटर में एक भी टमाटर सड़ा हुआ है तो पूरे टमाटर को खराब कर सकता है| बस यही कह सकते हैं कि आज ज्यादा कुछ नहीं बदला पुराने समय में लोग अनपढ़ थे और आज पढ़े-लिखे जातिवाद हैं|
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Gitesh Sharma
@giteshsharma_ , thegiteshsharma.blogspot.com

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Source: Times Now & World Bank

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