सोया ही हुआ था मैं, हमेशा के लिए अभी-अभी ~ गीतेश शर्मा
Written by Gitesh Sharma
» भला हो मेरे उस दोस्त का
जो दुश्मन के रूप में आया।
सोया ही हुआ था, मैं अभी-अभी।।
» उस -40℃ में चौबीस घंटे खडे़ रहना,
इस उम्मीद में कि मेरे भरोसे कोई सोया हुआ है।
सोया ही हुआ हुँ, मैं अभी-अभी।।
» मौत का डर न था मुझें,
न जीने कि ख्वाहिश थी,
बस बर्फ की गुफाओं में रहना था,
और तनहायी में जिंदगी थी,
हाथ में तेरे फोटो थे और नींद भी अभी आई थी।।
» किसी बेटे के लिए उसकी माँ के गोद में सोना,
एक स्वर्ग के जैसा है।
पर फिर भी कोई उम्मीद नही है, आपसे।
बस एक इच्छा और अनुरोध है, आपसे।
दो गज जमीन और एक तिरंगा चाहिए, एक सिपाही के वास्ते।
» मरने का गम नहीं था मुझे।
हाथ में तिरंगा था और लफ्ज़ पर "जय हिंद" का नारा था।
तभी एक बर्फ का झोंका आया और मैं उससे नीचे दब गया अभी-अभी।
सोया ही हुआ था मैं, हमेशा के लिए अभी-अभी ।।
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Gitesh Sharma
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