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मैं कौन सा रंग पहनूँ जो बन जाऊँ इंसान!!

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क्या मैं मुजरिम कहलाऊंगा और क्या होगा इल्जाम अगर हरे रंग से हिंदू लिख दू भगवे से इस्लाम!! भगवा ओढ़े हिंदू, हरा पहने मुसलमान, मैं कौन सा रंग पहनूँ जो बन जाऊँ इंसान !! Psycho Shayar ke द्वारा कहा गया गंभीर वाक्य ...

इश्क़ के महाभारत में..

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इश्क़ के महाभारत में..  झुमका किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है..! और चेहरा चक्रव्यूह से कम नहीं है!! ishq ke mahaabhaarat mein..  jhumaka kisee brahmaastr se kam nahin hai..! aur chehara chakravyooh se kam nahin hai!! Gitesh Sharma ( instagram /@giteshsharma_)

मेरे इश्क

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तेरे हुस्न से परे हैं मेरे इश्क की रूहानियत।  तारीफ की चाह में तु उसकी नुमाइश ना कर। tere husn se pare hain mere ishk kee roohaaniya... taareeph kee chaah mein tu usakee numaish na ka...  The spirituality of my love is beyond your beauty & body. Don't flaunt it in the name of praise. ~ Gitesh Sharma, Blogger Instagram ,  Koo  or  Twitter  / @giteshsharma_

काश

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काश की तुम मौत होती, एक दिन आती जरूर! अफसोस कि तुम जींदगी हो, छोड़ कर जाओगी जरूर|| kaash kee tum maut hotee, ek din aatee jaroor! aphasos ki tum jeendagee ho, chhod kar jaogee jaroor.. ~ Gitesh Sharma, Blogger Instagram , Koo or Twitter / @giteshsharma_

उनकी गहरी और नशीली नजरे

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सुना है बड़े-बड़े तैराक भी गहरे समुंदर में डूब जाते हैं। मैं तो फिर भी तैरना नहीं जानता था, जितना हाथ-पैर मरता गया, उतना ही उनकी गहरी और नशीली नजरों में डूबता गया.. Suna Hai Bade Bade Tairak Bhi Gahare Samundar Me Doob Jate Hai.  Main To Fir Bhi Tairna Nahi Janta Tha, Jitna Haath Pair Marta Gaya, Unki Gahari Aur Nashili Nazaro Me Doobta Gaya.. By Gitesh Sharma (गीतेश शर्मा). Insta/@giteshsharma_

प्यार वाली बीमारी

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मैंने इश्क़ में, उन्हें इस कदर चाहा, कि उन्हें मेरी बीमारी हो गई, मुझे उनकी| इतेफ़ाक-ए-इश्क़ तब गहरा हो गया, जब पता चला कि उन्हें मौत की बीमारी थी, और मुझे प्यार की॥ ~  Gitesh Sharma  ( Insta /@giteshsharma_)  #Poem #Shayari #Love #Ishq #Brakeup

वे कहती हैं, आपसे मिलना है?

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तो वे हमसे मिलना चाहती थी, तब ये लिखा था कि -  हम मिलेंगे आपके सपनों और यादों में| हम मिलेंगे किसी दिन, किसी चौराहे पर| हम आपसे मिलेंगे सुनहरी वादियों में, चहचहाते चिड़ियों के बगीचों में, बहते झरनों में, बहते फिजाओं में| अब तो मैं भी, मैं ना रहा, मैं इंतजार करूंगा, तुम आना, मैं मिलूंगा अपने कब्र पर| वह कहती हैं, आपसे मिलना है, तो हां मुझे भी मिलना, इन हवाओं में इन फिजाओं में| ~ Gitesh Sharma ( Insta /@giteshsharma_)  #Poem #Shayari #Love #Ishq